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जय अंबे माँ

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जय अंबे माँ माता जी के चरणों में मैं  , अपना शीश झुकाता हूँ । कृपा आपकी बनी रहे माँ , नित नित भजन सुनाता हूँ ।। जगमग जगमग ज्योत जले हैं , माता के दरबारों में । रँग रंगोली सजे हुए हैं  , सुंदर तोरण द्वारों में ।। सिंह वाहिनी दुर्गा माता  , चरणों पुष्प चढाता हूँ । कृपा आपकी बनी रहे माँ , नित नित भजन सुनाता हूँ ।। नाच रहे सब झूम झूमकर , भक्तों की आई टोली । शरण पड़े हैं भक्त तुम्हारे  , भर दे माँ खाली झोली ।। जब जब संकट आये माता  , पास तुम्हारे आता हूँ । कृपा आपकी बनी रहे माँ , नित नित भजन सुनाता हूँ ।। माँ ममता की मूरत है तू , कृपा सदा बरसाती है । पूजे जो भी सच्चे दिल से  , घर में खुशियाँ लाती है ।। पूजा पाठ न जानूं माता  , माटी दीप जलाता हूँ । कृपा आपकी बनी रहे माँ , नित नित भजन सुनाता हूँ ।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया  (कवर्धा) छत्तीसगढ़ 8602407353 mahendra Dewangan Mati ताटंक छंद 16 + 14 = 30 मात्रा पदांत --- 3 गुरु

भाजी पाला

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भाजी पाला किसम किसम के भाजी पाला , बारी मा बोंवाये हे । चेंच अमारी कांदा भाजी , सुघ्घर के उलहाये हे ।।1।। भाजी पाला खाथे जेहा , नइ तो बीमारी होवे । खून बढ़ाथे अब्बड़ संगी , जिनगी भर नइ तो रोवे ।।2।। सबो विटामिन मिलथे सुघ्घर  , भाजी पाला खाये ले । पइसा भी मिलथे गा अब्बड़  , बारी मा उपजाये ले ।।3।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ 8602407353 mahendradewanganmati@gmail.com ताटंक छंद 16 + 14 = 30 मात्रा पदांत  -- 3 गुरु अनिवार्य

पानी बरसत

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पानी बरसत रिमझिम रिमझिम पानी बरसत , टपकत हे परवा छानी । लइका मन हा  नाचय कूदय , खेलत हे आनी बानी ।।1।। गाँव गली मा पानी भरगे , अब्बड़ बोहाये रेला । भाजी पाला सब बोहागे , ढुलगत हे सब्जी ठला  ।।2।। नोनी बाबू  पानी खेलय ,  छोड़य कागज के डोंगा । कूद कूद के नाचत हावय , बजा बजा के गा पोंगा ।।3।। घर मा तेलइ बइठे दाई ,  राँधत हे भजिया चीला । कुरिया भीतर खुसरे सबझन  , खावत हे माई पीला ।।4।। महेन्द्र देवांगन "माटी" पंडरिया  (कवर्धा) छत्तीसगढ़ 8602407353 mahendra Dewangan Mati ***************************** ताटंक छंद 16 + 14 = 30 मात्रा पदांत में 3 गुरु अनिवार्य

अभिलाषा

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अभिलाषा  ( ताटंक छन्द ) मातृभूमि पर शीश चढाऊँ,  एक यही अभिलाषा है ।  झुकने दूंगा नहीं  तिरंगा ,  मेरे मन की आशा है ।।1। नित नित वंदन करुँ मै माता,  तुम तो पालन हारी हो । कभी कष्ट ना होने देती , सबके मंगलकारी हो ।।2।। जाति धर्म सब अलग अलग पर , एक यहाँ की भाषा है । मातृभूमि पर शीश चढाऊँ,  एक यही अभिलाषा है ।।3।। शस्य श्यामला धरा यहाँ की , सुंदर पर्वत घाटी है । माथे अपने तिलक लगाऊँ,  चंदन जैसे माटी है ।।4।। कभी खेलते युद्ध यहाँ पर , कभी खेलते पासा हैं । मातृभूमि पर शीश चढाऊँ,  एक यही अभिलाषा है ।।5।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ mahendradewanganmati@gmail.com ताटंक छंद  ( चौबोला छंद) मात्रा- - 16 + 14 = 30 पदांत में-  तीन गुरु अनिवार्य

पर्यावरण पच्चीसी

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पर्यावरण पच्चीसी स्वच्छ रखो पर्यावरण,  सभी लगाओ पेड़ । रहे सदा खुशहाल सब , प्रकृति को मत छेड़ ।।1।। शुद्ध रखो पर्यावरण,  स्वस्थ रहे परिवार । खान पान भी शुद्ध हो , कोइ न हो बीमार ।।2।। चिड़िया आती पेड़ में,  बैठे रहती छाँव । लगे भला पर्यावरण,  सुंदर लगते गाँव ।।3।। सबके दिल में प्रेम हो , पालो मत तुम बैर । नहीं बचा पर्यावरण,  किसकी है फिर खैर ।।4।। कट जाये सब पेड़ तो,  कैसे वर्षा होय । पर्यावरण खराब हो , माथ पकड़ सब रोय ।।5।। नदियाँ नाला शुद्ध हो , शुद्ध रखो सब ताल । पर्यावरण शुद्ध रखो ,नहि आयेगा काल ।।6।। धुआँ धूल से होत है , पर्यावरण खराब । असर पड़त है लोक पर , जानो इसे जनाब ।।7।। हरी भरी धरती दिखे , ग्रीष्म शरद बरसात । स्वच्छ लगे पर्यावरण,  मानो अपनी बात ।।8।। पाॅलिथीन से होत है,  पर्यावरण विनाश । सड़ते नहीं जमीन पर , उगे न कोई घास ।।9।। कूड़ा कचरा डालकर,  बदबू मत फैलाव । साफ रखो परिवेश को , पर्यावरण बचाव ।।10।। दूषित हो पर्यावरण,  नहीं बचेंगे लोग । मुश्किल होगा श्वांस भी , बढ़ जायेगा रोग ।।11।। पेड़ काटकर कर रहे,  जंगल पूरा साफ । पर्यावरण सिसक रहा,  नहीं करेंगे

आज के नेता

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आज के नेता  ( उल्लाला छंद) नेता हावय आज के  , कौड़ी ना हे काज के । माँगय पइसा रोज के  , जेब मा धरथे बोज के ।।1।। खावत रहिथे पान ला , खजवावत हे कान ला । मुंहू दिखथे लाल जी  , करिया करिया बाल जी ।।2।। सादा सादा भेष हे , मारत अब्बड़ टेस हे । मन मा हावय पाप जी  , देखावा सब जाप जी ।।3।। माँगय सबकर वोट जी  , बाँटय सब ला नोट जी । जोड़त हावय हाथ ला , नइ छोड़व मँय साथ ला ।।4।। जाथे जीत चुनाव जी , ताहन भजिया खाव जी । नइ देखे वो गाँव ला , राखे नइ गा पाँव ला ।।5।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया  (कवर्धा) छत्तीसगढ़ mahendradewanganmati@gmail.com उल्लाला छंद 13 + 13 = 26 मात्रा

स्वच्छता अभियान

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स्वच्छता अपनाओ आओ प्यारे मिलजुल करके , सब कोई हाथ बढायेंगे । बीमारी अब पास न आये  , गंदगी तुरंत भगायेंगे ।।1।। कूड़ा कचरा को मत फेंको , एक जगह सब डाले जाओ । कागज झिल्ली पुट्ठा रददी  , गड्डे  डालो आग लगाओ ।।2।। जगह जगह ना थूकों प्यारे   , अब स्वच्छ रखो दीवारों को । समझा दो सब खाने वाले  , नशा पान के मतवालों को ।।3।। रहे स्वच्छ परिवेश हमारा , हम सब की भागीदारी है । साफ सुथरा पर्यावरण हो  , हम सबकी जिम्मेवारी है ।।4।।  हाथ बढाओ आगे आओ ,  हरियाली मिलकर लायेंगे । झूम उठेगी सारी धरती  , पौधे भी खूब लगायेंगे ।।5।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ mahendradewanganmati@gmail.com 16 + 16 = 32 मात्रा