भाँटा मुरई
भाँटा मुरई आज राँधे हे घर में, भाँटा मुरई । लकर धकर में होगे, अधकुचरा चुरई । दाई हा चुप हे , होगे ददा के चिल्लई । छोटकी हा सुसकत हे , होगे करलई । सटक गे बहू के, रंग रंग के बोलई । कुरिया में खुसर के, होगे रोवई । भुलागे लइका ला , पीयाय बर दवई । मीठ मीठ बोल के, "माटी" के मनई । जाना हे जल्दी, बाबू ला गंवई । पेट नइ भरीस, आज के खवई । आज रांधे हे घर में, भाँटा मुरई महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़