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स्वच्छता अभियान

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स्वच्छता अपनाओ आओ प्यारे मिलजुल करके , सब कोई हाथ बढायेंगे । बीमारी अब पास न आये  , गंदगी तुरंत भगायेंगे ।।1।। कूड़ा कचरा को मत फेंको , एक जगह सब डाले जाओ । कागज झिल्ली पुट्ठा रददी  , गड्डे  डालो आग लगाओ ।।2।। जगह जगह ना थूकों प्यारे   , अब स्वच्छ रखो दीवारों को । समझा दो सब खाने वाले  , नशा पान के मतवालों को ।।3।। रहे स्वच्छ परिवेश हमारा , हम सब की भागीदारी है । साफ सुथरा पर्यावरण हो  , हम सबकी जिम्मेवारी है ।।4।।  हाथ बढाओ आगे आओ ,  हरियाली मिलकर लायेंगे । झूम उठेगी सारी धरती  , पौधे भी खूब लगायेंगे ।।5।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ mahendradewanganmati@gmail.com 16 + 16 = 32 मात्रा

पेड़ लगाओ

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पेड़ लगाओ आओ मिलकर पेड़ लगायें, सबको मिलेगी छाँव । हरी-भरी हो जाये धरती,  मस्त दिखेगा गाँव ।।1।। पेड़ों से मिलती हैं लकड़ी , सबके आती काम । जो बोते हैं बीज उसी का, चलता हरदम नाम ।।2।। सुबह शाम तुम पानी डालो , इतना कर उपकार । गाय बैल से उसे बचाओ , बनकर पहरेदार ।।3।। आओ मिलकर पेड़ लगायें,  सबको मिलेगी  छाँव । हरी-भरी हो जाये धरती, मस्त दिखेगा गाँव ।। 4।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ mahendradewanganmati@gmail.com सरसी छंद मात्रा- --- 16 +11 = 27 पदांत -- गुरु लघु

शारदे वंदन

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शारदे वंदन चरण कमल में तेरे माता,  अपना शीश झुकाते हैं । ज्ञान बुद्धि के देने वाली,  तेरे ही गुण गाते हैं ।। श्वेत कमल में बैठी माता,  कर में पुस्तक रखती है । राजा हो या रंक सभी का , किस्मत तू ही लिखती है ।। वीणा की झंकारे सुनकर,  ताल कमल खिल जाते हैं । बैठ पुष्प में तितली रानी,  भौंरा गाना गाते हैं ।। मधुर मधुर मुस्कान बिखेरे , ज्ञान बुद्धि तू देती है । शब्द शब्द में बसने वाली,  सबका मति हर लेती है ।। मैं अज्ञानी बालक माता,  शरण आप के आया हूँ । झोली भर दे मेरी मैया,  शब्द पुष्प मैं लाया हूँ ।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ 07/09/18 mahendradewanganmati@gmail.com कुकुभ छंद मात्रा  ---- 16 +14 = 30 पदांत दो गुरु अनिवार्य

बरखा रानी

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बरखा रानी ( सार छंद ) झूम रहे सब पौधे देखो , आई बरखा रानी । मौसम लगते बड़े सुहाने , गिरे झमाझम पानी ।।1।। हरी भरी धरती को देखो , हरियाली है छाई । बाग बगीचे दिखते सुंदर,  मस्ती सब में  आई ।।2।। कलकल करती नदियाँ बहती  , झरने शोर मचाये । मोर नाचते वन में देखो , कोयल गाना गाये ।।3।। बादल गरजे बिजली चमके , घटा घोर है छाई । सौंधी सौंधी माटी महके , बूंद पड़े जब भाई ।।4।। खेत खार में झूम झूम कर , फसलें सब लहराये । हैं किसान को खुशी यहाँ पर ,  "माटी" गीत सुनाये ।।5।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया ( कवर्धा) छत्तीसगढ़ mahendradewanganmati@gmail.com

सावन आया

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(म हेन्द्र देवांगन माटी की रच ना ) सावन आया सावन आया, सब किसान के मन को भाया । रिमझिम रिमझिम गिरता पानी,  टपके टप टप परछी छानी । हरा भरा सब खेत खार है , सुंदर दिखते मेंड़ पार है । चिखला माटी सबो सनाये , सावन में हरेली मनाये । लड़का लड़की गेड़ी चढ़ते,  मिलजुल कर सब आगे बढ़ते । झूम रहे हैं सब नर नारी,  झूला झूले पारी पारी । रचना महेन्द्र देवांगन "माटी" पंडरिया  (कवर्धा ) छत्तीसगढ़ 8602407353 Mahendradewanganmati@gmail.com

आओ पेड़ लगायें

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आओ पेड़ लगायें चलो चलें एक पेड़ लगायें,  धरती में खुशहाली लायें । पेड़ लगाकर घेरा बनायें,  गाय बकरी से उसे बचायें । सुबह शाम हम पानी डालें,  सुरक्षा का उपाय अपना लें । धीरे धीरे पेड़ बढ़ेंगे,  मैना गिलहरी उस पर चढेंगे । सबको मिलेगी शीतल छाँव,  सुंदर दिखेगा मेरा गाँव । फल फूल भी रोज मिलेगा,  सबका मन खुशी से खिलेगा । कभी नही इसको काटेंगे , फल फूल को रोज बाँटेंगे । हो हमारे सपने साकार,  पेड़ जीवन का है आधार । रचनाकार महेन्द्र देवांगन "माटी " पंडरिया  (कवर्धा ) छत्तीसगढ़ 8602407353 mahendradewanganmati@gmail.com

तब कविता बन जाती है

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कोयल जब गाती है, मीठी तान सुनाती है । अपने मधुर स्वर से,  बागों को गुंजाती है । तब कविता बन जाती है । बादल जब गरजता है, बिजली भी चमकती है । आसमान में काले काले , घनघोर घटा छा जाती है । तब कविता बन जाती है । गाय जब रंभाती है, बछड़े को पिलाती है । गोधुली बेला में अपने, पैरों से धूल उड़ाती है । तब कविता बन जाती है । घर आँगन में फुदक फुदक कर , चिड़िया जब चहचहाती है । पायल की रुनझुन आवाज सुन, गुड़िया रानी खिलखिलाती है । तब कविता बन जाती है । बारिश की पहली फुहार ,जब तन मन को भिगाती है। माटी की सौंधी खुशबू, जब चारों ओर फैल जाती है । तब कविता बन जाती है । चलती है मस्त हवाएं जब , बागों से खुशबू आती है । कोई चाँद सा चेहरा जब , आँखों में बस जाती है । तब कविता बन जाती है । माँ अपने कोमल हाथों से, रोटी जब खिलाती है । खुद भूखी रहकर भी जब , बच्चों को दूध पिलाती है । तब कविता बन जाती है । महेन्द्र देवांगन "माटी" पंडरिया 8602407353 Mahendra Dewangan Mati 21/03/2018

माता की कृपा

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माता की कृपा *************** मां दुर्गा के चरणों में मैं, अपना शीश झुकाता हूँ । तेरे दर पे आकर माता, श्रद्धा के फूल चढाता हूँ । कोई न हो जग में दुखी मां , तेरी कृपा बनी रहे । बस इसी आशा से मैं, लोगों को भजन सुनता हूँ । जिस पर तेरी कृपा पड़े मां , भाग्य बदल जाता है । पल भर में ही वह मानव , रंक से राजा बन जाता है । जहां जहां तक नजरें जाती , सब पर तेरी माया है । प्रकृति का कण कण भी, तुझ पर ही बलि जाता है । तेरे दर पे आकर माता, मन का बगिया खिलता है । भूल जाता हूँ दुनियादारी, सुकून मन को मिलता है । तेरी याद में हर दिन माता, मैं ये भजन लिखता हूँ । तेरी कृपा के बिना तो माँ,  पत्ता भी न हिलता है । रचना  Mahendra Dewangan Mati महेन्द्र देवांगन "माटी"   पंडरिया (छत्तीसगढ़ ) मो नं -- 8602407353 Email - mahendradewanganmati@gmail.com

एक दीपक बन जायें

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करो कुछ ऐसा काम साथियों,घर घर खुशियां लायें । भूले भटके राह जनों का,एक दीपक बन जायें | चारों तरफ है आज अंधेरा,किसी को कुछ न सूझे। पथराई है सबकी आंखें,आशा की किरण बुझे । कर दें दूर अंधेरा अब,नया जोश हम लायें । भूले भटके राह जनों का,एक दीपक बन जायें । शोषित पीड़ित दलित जनों का,हम सेवक बन जायें । सभी हैं अपने बंधु बांधव,इसको मार्ग दिखायें । कोई रहे न भूखा जग में,मिल बांटकर खायें । भूले भटके राह जनों का, एक दीपक बन जायें । शिक्षा का संदेश लेकर,घर घर पर हम जायें । अशिक्षा अज्ञानता के, तम को दूर भगायें । नही उपेक्षित कोई जन अब,अपना लक्ष्य बनायें । भूले भटके राह जनों का, एक दीपक बन जायें । ऊंच नीच और जाति पांति के,भेद को दूर भगायें । अमावश की कालरात्रि में,मिलकर दीप जलायें । त्योहारों की खुशियां हम सब,मिलकर साथ मनायें । भूले भटके राह जनों का,एक दीपक बन जायें || रचनाकर महेन्द्र देवांगन "माटी"    पंडरिया Mahendra Dewangan Mati

असली रावण को मारो

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भर गया है पाप का घड़ा, अब तो इसे निकालो । नकली रावण को छोड़कर, असली को अब मारो। गाँव गली में घूम रहे हैं, साधुओं के वेश में । राम नाम का माला जपते, बाबाओं के भेष में । जागो अब हनुमान बनकर, पापी को पहचानो । नकली रावण को छोड़कर, असली को अब मारो। मुंह में राम बगल में छुरी, ऐसे प्रपंच रचाते हैं । लूट रहे हैं लोगों को और , झूठे वचन सुनाते हैं । नोच लो इसके नकली चेहरा, कूट कूट कर मारो । नकली रावण को छोड़कर, असली को अब मारो। विजया दशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ महेन्द्र देवांगन माटी ✍       पंडरिया 8602407353 💐💐💐💐💐💐💐💐💐

आजादी का पर्व

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आजादी का पर्व *************** आजादी का पर्व मनाने, गाँव गली तक जायेंगे । तीन रंगों का प्यारा झंडा, शान से हम लहरायेंगे । नहीं भूलेंगे उन वीरों को , देश को जो आजाद किया । भारत मां की रक्षा खातिर, जान अपनी कुर्बान किया । आज उसी की याद में हम सब , नये तराने गायेंगे । तीन रंगों का प्यारा झंडा, शान से हम लहरायेंगे । चन्द्रशेखर आजाद भगतसिंह,  भारत के ये शेर हुए । इनकी ताकत के आगे, अंग्रेजी सत्ता ढेर हुए । बिगुल बज गया आजादी का, वंदे मातरम गायेंगे । तीन रंगों का प्यारा झंडा, शान से हम लहरायेंगे । मिली आजादी कुर्बानी से,  अब तो  नही जाने देंगे । चाहे कुछ हो जाये फिर भी, आंच नहीं आने देंगे । संभल जाओ ओ चाटुकार तुम, अब तो शोर मचायेंगे । तीन रंगों का प्यारा झंडा, शान से हम लहरायेंगे । हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई, सबको आगे आना होगा । स्कूल हो या मदरसा सब पर , तिरंगा फहराना होगा । देशभक्ति का जज्बा है ये , मिलकर साथ मनायेंगे । तीन रंगों का प्यारा झंडा,  शान से हम लहरायेंगे । Mahendra Dewangan Mati       महेन्द्र देवांगन माटी            पंडरिया            छत्तीसगढ़          13/08

अगस्त क्रांति

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अगस्त क्रांति ************ क्रांति का आगाज हो चुका, चुप नहीं बैठेंगे हम । जब तक पूर्ण न हो मांग हमारी,  नहीं लेंगे कोई दम । उठा चुके हैं मशाल हाथ में, अब नहीं बुझने देंगे । भभक उठी है क्रांति ज्वाला, सर नहीं झुकने देंगे । देख लो अब ताकत हमारी,  अभी तो ये अंगड़ाई है । अगस्त क्रांति आ चुका है,  आगे और लड़ाई है । महेन्द्र देवांगन माटी Mahendra Dewangan Mati 10/08/2017

ऊं नमः शिवाय

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ऊं नमः शिवाय ************** जय शिव शंभु दया करो,हम तेरे शरण में आये तेरे दर को छोड़ के बाबा, और कहां हम जायें । ओम नम: शिवाय, ओम नम:शिवाय  4 देवों के तुम देव हो बाबा, महादेव कहलाये सबका संकट हरने वाला, लीला अजब रचाये। ओम नम:शिवाय ओम नम:शिवाय - 4 औघड़ दानी तू है बाबा, सबको देने वाला दीन दुखियों के सहारा है , भक्तों का रखवाला । ओम नम:शिवाय, ओम नम:शिवाय - 4 विष का प्याला पीने वाला, नीलकंठ कहलाये जो भी आये तेरे शरण में, सबको गले लगाये। ओम नम: शिवाय, ओम नम: शिवाय - 4            महेन्द्र देवांगन माटी             पंडरिया छत्तीसगढ़ Mahendra Dewangan Mati