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माता ला परघाबो

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आवत हावय दुर्गा दाई,  चलव आज परघाबो । नाचत गावत झूमत संगी , आसन मा बइठाबो ।। लकलक लकलक रूप दिखत हे , बघवा चढ़ के आये । लाली चुनरी ओढे मइया , मुचुर मुचुर मुस्काये ।। ढोल नँगाड़ा ताशा माँदर , सबझन आज बजाबो । आवत हावय दुर्गा दाई  , चलव आज परघाबो ।। नव दिन बर आये हे माता  , सेवा गजब बजाबो । खुश होही माता हमरो बर , अशीष ओकर पाबो ।। नव दिन मा नव रुप देखाही , श्रद्धा सुमन चढाबो । आवत हावय दुर्गा दाई  , चलव आज परघाबो ।। सुघ्घर चँऊक पुराके संगी , तोरन द्वार सजाबो। ध्वजा नरियर पान सुपारी  , वोला भेंट चढ़ाबो ।। गलती झन होवय काँही अब , मिलके सबो मनाबो । आवत हावय दुर्गा दाई  , चलव आज परघाबो ।।  रचनाकार महेन्द्र देवांगन माटी (शिक्षक) पंडरिया छत्तीसगढ़ 8602407353 सार छंद मात्रा  -- 16 + 12 = 28 पदांत -- दो गुरु

जागो

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जाग सबेरे चिड़ियाँ चहके , कोयल गाना गाये । कमल ताल में खिले हुए हैं  , सबके मन को भाये ।। रंभाती हैं गैया देखो  , बछड़ा भी  रंभाये । दाना पानी लेकर अब तो , मोहन भैया आये ।। उठ जाओ अब सोकर प्यारे  , मुर्गा बाँग लगाये । आलस छोड़ो बिस्तर त्यागो , सबको आज जगाये ।। माटी पुत्र चले खेतों में  , हल को लेकर जाये । इस माटी का कण कण पावन,  माथे तिलक लगायें ।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ 12/04/19 Mahendra Dewangan Mati सार छंद मात्रा  -- 16 + 12 = 28 पदांत -- एक गुरु या दो लघु दो गुरु आने से लय अच्छा बनता है ।

असली रावण मारो

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असली रावण मारो गली गली रावण घूमत हे , ओकर भुररी बारो । नकली रावण छोड़ो संगी , असली रावण मारो ।। रोज करत हे अत्याचारी , आँखी ला देखाथे । करथे दादागीरी अब्बड़ , तलवार ला उठाथे ।। हिम्मत करके आघू आवव , मिलके सब ललकारो । नकली रावण छोड़ो संगी , असली रावण मारो ।। जुंवा चित्ती सटटा मटका , रोज अबड़ खेलाथे । गाँव गाँव मा दारु बेंच के , पइसा अबड़ कमाथे ।। दिखत हवय गा साव बरोबर , आँखी अपन उघारो । नकली रावण छोड़ो संगी , असली रावण मारो ।। बेटी माई हरण करत हे , इज्जत रोज लूटथे । पर के सुख ला देख नइ सकय , ओकर आँख फूटथे ।। अइसन पापी रावण मन ला , आगी मा अब डारो । नकली रावण छोड़ो संगी , असली रावण  मारो ।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ Mahendra Dewangan Mati 19/10/2018

बरखा रानी

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बरखा रानी ( सार छंद ) झूम रहे सब पौधे देखो , आई बरखा रानी । मौसम लगते बड़े सुहाने , गिरे झमाझम पानी ।।1।। हरी भरी धरती को देखो , हरियाली है छाई । बाग बगीचे दिखते सुंदर,  मस्ती सब में  आई ।।2।। कलकल करती नदियाँ बहती  , झरने शोर मचाये । मोर नाचते वन में देखो , कोयल गाना गाये ।।3।। बादल गरजे बिजली चमके , घटा घोर है छाई । सौंधी सौंधी माटी महके , बूंद पड़े जब भाई ।।4।। खेत खार में झूम झूम कर , फसलें सब लहराये । हैं किसान को खुशी यहाँ पर ,  "माटी" गीत सुनाये ।।5।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया ( कवर्धा) छत्तीसगढ़ mahendradewanganmati@gmail.com

बाल कृष्ण

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बाल कृष्ण  ( सार छन्द में ) बाल कृष्ण के लीला भारी , बोले नटवर लाला । राधा क्यों गोरी है मैया , मैं क्यों बिल्कुल काला ।। बात अजब सुनकर के मैया , मंद मंद मुस्काये । ऐसे क्यों कहता है लल्ला , तुमको क्यों बतलाये ।। मोहन बोले सुन ले मैया , आज मुझे बतलाओ । रुठ जाऊँगा अब मैया मैं,  पास नहीं तुम आओ ।। सुन मोहन के बात यशोदा , उसको गले लगाई । क्यों काला है सुन ले लल्ला,  आज उसे बतलाई ।। बंदीगृह में जन्म लिया है , तू है किस्मत वाला । अँधियारी में आया है तू , इसीलिए है काला ।। श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया  (कवर्धा ) छत्तीसगढ़ Mahendra Dewangan Mati मात्रा ---- 16 +12 =28

झंडा ला फहराबो

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देश हमर हे सबले प्यारा , येकर मान बढ़ाबो । नइ झूकन देन हम तिरंगा , झंडा ला फहराबो ।। भेदभाव ला छोड़ के सँगी , सब झन आघू बढ़बो । हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई , मिल के हम सब लड़बो ।। अपन देश के रक्षा खातिर , बाजी सबो लगाबो । नइ झूकन देन हम तिरंगा  , झंडा ला फहराबो ।। रानी लक्ष्मी बाई आइस , अपन रूप देखाइस । गोरा मन ला मार काट के  , सब ला मजा चखाइस ।। हिलगे सब अंग्रेजी सत्ता  , ओकर गुन हम गाबो । नइ झूकन देन हम तिरंगा  , झंडा ला फहराबो ।। आन बान अउ शान तिरंगा  , लहर लहर लहराबो । देश विदेश जम्मो जगा मा , येकर यश फइलाबो ।। भारत भुँइया के माटी ला , माथे तिलक लगाबो । नइ झूकन देन हम तिरंगा  , झंडा ला फहराबो ।। ***************** नियम -- मात्रा 16 + 12 = 28 तुकांत के नियम  --- दू दू डाँड़ मा ( सम सम चरण मा ) आखिर मा एक बड़कू ( गुरु ) या दू नान्हे  (लघु ) होना चाहिए । तुकांत मा दू बड़कू (गुरु ) आये ले छन्द अउ गुरतुर हो जाथे । महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया  ( कवर्धा ) छत्तीसगढ़ @Mahendra Dewangan Mati

मोबाइल

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आज काल के नोनी बाबू , मोबाइल ला धरथे । फुसुर फुसुर दूसर के सँग मा , बात अबड़ जी करथे ।। दिन भर देखत रहिथे वोला , भात घलो नइ खाये । आनी बानी पिक्चर देखे , रँग रँग गाना गाये ।। काम बुता तो करना नइहे,  जाँगर ओकर जरथे । फुसुर फुसुर दूसर के सँग मा , बात अबड़ जी करथे ।। दाई बाबू कतको बोले , कहना ला नइ माने । पढ़ई लिखई जीरो हावय , काँही ला नइ जाने ।। नाम कमाही बेटा कहिके  , दाई आशा करथे । फुसुर फुसुर दूसर के सँग मा , बात अबड़ जी करथे ।। **************** नियम -- मात्रा 16 + 12 = 28 तुकांत के नियम  --- दू दू डाँड़ मा ( सम सम चरण मा ) आखिर मा एक बड़कू ( गुरु ) या दू नान्हे  (लघु ) होना चाहिए । तुकांत मा दू बड़कू (गुरु ) आये ले छन्द अउ गुरतुर हो जाथे । महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया  (कवर्धा ) छत्तीसगढ़ Mahendra Dewangan Mati

बादर आवय

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उमड़त घुमड़त बादर आवय , गिरय झमाझम पानी । आ गे सावन महीना सँगी , चूहत परछी छानी ।। गाँव गली मा पानी भरगे,  बोहावत हे रेला । लइका मन सब नाचत कूदत , खेलत हावय खेला ।। खेत खार मा चिखला मातय,  धरथे अब्बड़ लेटा । दाई हा चेतावत हावय , बने रेंगबे बेटा ।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ Mahendra Dewangan Mati नियम -- मात्रा 16 + 12 = 28 तुकांत के नियम  --- दू दू डाँड़ मा ( सम सम चरण मा ) आखिर मा एक बड़कू ( गुरु ) या दू नान्हे  (लघु ) होना चाहिए । तुकांत मा दू बड़कू (गुरु ) आये ले छन्द अउ गुरतुर हो जाथे ।

माटी के चोला ( सार छन्द )

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माटी के चोला  राम भजन ला गा ले भैया,  इही काम गा आही । माटी के चोला हा संगी , माटी मा मिल जाही ।। कतको धन दौलत ला रखबे , काम तोर नइ आये । छूट जही जब जीव ह तोरे,  सँग मा कुछु नइ जाये ।। देखत रइही नाता रिश्ता,  बरा भात ला खाही । माटी के चोला हा संगी , माटी मा मिल जाही ।। मया मोह के फेरा मा तैं,  दुनिया सबो भुलाये । काम करे तैं मर मर सब बर , पाछू बर पछताये ।। कर ले सेवा दीन दुखी के,  नाम तोर रहि जाही । माटी के चोला हा संगी , माटी मा मिल जाही ।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया  (कबीरधाम ) छत्तीसगढ़ 8602407353 @Mahendra Dewangan Mati नियम -- मात्रा 16 + 12 = 28 तुकांत के नियम  --- दू दू डाँड़ मा ( सम सम चरण मा ) आखिर मा एक बड़कू ( गुरु ) या दू नान्हे  (लघु ) होना चाहिए । तुकांत मा दू बड़कू (गुरु ) आये ले छन्द अउ गुरतुर हो जाथे ।