Posts

Showing posts with the label दोहा छंद

गुरु (दोहे )

Image
गुरु गुरू बिना मिलथे कहाँ,  कोनों ला जी ज्ञान । कर ले कतको जाप तैं , चाहे देदव जान ।।1।। नाम गुरू के जाप कर , तैंहा बारम्बार । मिलही रस्ता ज्ञान के  , होही बेड़ापार ।।2।। छोड़व झन अब हाथ ला , रस्ता गुरु देखाय । दूर करय अँधियार ला , अंतस दिया जलाय ।।3।। सेवा करले प्रेम से  , एहर जस के काम । गुरु देही आशीष तब , होही जग मा नाम ।।4।। पारस जइसे होत हे , सदगुरु के सब ज्ञान । लोहा सोना बन जथे , देथे जेहा ध्यान ।।5।। देथे शिक्षा एक सँग,  गुरुजी बाँटय ज्ञान । कोनों कंचन होत हे , कोनों काँच समान ।।6।। सत मारग मा रेंग के  , बाँटव सब ला ज्ञान । गुरू कृपा ले हो जथे  , मूरख भी विद्वान ।।7।। शिक्षक के आदर करव , पूजव सबो समाज । राह बताथे ज्ञान के  , तब होथे सब काज ।।8।। शिक्षा जेहा देत हे , वोहर गुरू समान । माथ नवावँव पाँव मा , असली गुरु तैं जान ।।9।। आखर आखर जोड़ के  , बाँटय सब ला ज्ञान । मूरख बनय सुजान जी  , अइसन गुरू महान ।।10।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया (कवर्धा ) छत्तीसगढ़ 8602407353 Mahendra Dewangan Mati @

भाजी पाला

Image
भाजी पाला भाजी पाला हा बने , गरमी माह सुहाय । फोरन दे के राँध ले , अब्बड़ भात खवाय ।। भौजी जाय बजार मा , लावय भाजी चेंच । भैया मन भर खात हे , लमा लमा के घेंच ।। तिंवरा भाजी देख के,  मन हा बड़ ललचाय । चना दार मा राँध ले , आगर भात खवाय ।। मुनगा भाजी खाय के , मुसुर मुसुर मुसकाय। कतको हरथे रोग ला , दांत बने चमकाय ।। कांदा भाजी मा घलो, अबड़ विटामिन पाय । ताकत आवय देंह मा , बबा बतावय राय ।। दार संग मा राँध ले , सुघ्घर भाजी लाल । खाथे जेहा रोज के , चिक्कन दिखथे गाल ।। तरिया नदियाँ तीर मा , चुनचुनिया ला पाय । चटनी सहीं बनाय के,  चाट चाट के खाय ।। करमत्ता के साग मा , करमा माता आय । भोग लगा के प्रेम से,  आशीरवाद  पाय ।। पटवा भाजी राँध ले , सँग मा लहसुन डार । परोसीन हा सूंघ के,  टपकावत हे  लार ।। मखना हावय नार मा , भाजी ला तैं टोर । खाये के मन आज हे , झोला मा ले जोर ।। चौंलाई के चाल ला , जानत नइहे कोन । खा के बड़ गुन गात हे , बहू लगावय फोन ।। भाजी मा हे गुन बहुत  , जेहा येला खाय । होय बिमारी दूर जी,   ताकत अब्बड़ आय ।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया  (कवर्धा ) छत्तीसगढ़ @M

बेटी बेटा

Image
बेटी बेटा भेदभाव ला छोड़ के  , दूनों ला तँय मान । बेटी  बेटा  एक  हे ,  कुल के दीपक जान ।। रौशन करथे एक दिन , दो दो कुल के नाम । बेटी बने पढ़ाव जी  , बनही बिगड़े काम ।। पढ़े लिखे से होत हे,  घर मा शिष्टाचार । गारी गल्ला छोड़ के,  सीखय सब संस्कार ।। बेटी बेटा संग मा , सब ला बने पढ़ाव । भरही झोली ज्ञान के,  जग मा नाम कमाव ।। मनखे मनखे एक हे , झन कर कोनों भेद । जेमा तैंहा खाय हस , ओमे झनकर छेद ।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ @ Mahendra Dewangan Mati दोहा -- 13 +11 = 24 मात्रा

गणेश वंदना ( दोहे )

Image
गणेश वंदना ( दोहा छन्द ) ************* पहिली पूजा तोर हे , गण नायक महराज । हाथ जोड़ विनती हवय , पूरा कर दे काज ।। आये हावन तोर कर , लेके छप्पन भोग । सबो कष्ट ला दूर कर , माँगत हे सब लोग ।। हाथी जइसे सूड़ हे , सूपा जइसे कान । सबके मन के बात ला , तेंहा लेथस जान ।। लड्डू मोदक खाय के , मुसवा करे सवार । तोर बुद्धि के सामने ,  पाय न कोनों  पार ।। नइ जानँव जी पाठ ला , मँय बालक नादान । भूल चूक माफी करव,  हाँवव मँय अनजान ।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया  (कवर्धा ) छत्तीसगढ़ 8602407353 Mahendra Dewangan Mati @ मात्रा 13 + 11 = 24

माटी के दोहे

Image
बेटी बेटा एक हे , होथे घर के शान । दूनों कुल के दीप हे , एला तेंहा मान ।। झन कर गरब गुमान तैं , आये खाली हाथ । राखे धन ला जोर के,  नइ जाये वो साथ ।। पढ़ लिख के आघू बढ़त,  जग मा नारी आज । देखत रहिगे लोग हा, करथे पूरा काज ।। कंधा ले कंधा मिला  , चलथे नारी आज । चाहे कोनों काम हो , हावय सबला नाज ।। सतमारग मा रेंग के,  बाँटव सबला ज्ञान । गुरू कृपा ले हो जथे , मूरख भी  विद्वान ।। पत्नी हा सरपंच हे , पति हा करथे राज । धुर्रा झोंकत आँख मा , हावय धोखेबाज ।। नारी के मन साफ हे , होथे फूल समान । आथे इज्जत आंच तब , धरथे तीर कमान ।। जीवन भर सेवा करय, सबला अपने मान । नारी छँइहा देत हे , होथे पेड़ समान ।। नदियाँ नरवा ताल मा,  पानी सबो सुखाय। बांधे नइहे पार ला , कइसे जल सकलाय ।। पानी हा अनमोल हे , एकर महिमा जान । बाँध बना के रोक लो ,   बचही तभे परान ।। आवत जावत लोग ला , पानी जेन पियाय । मिलथे आशीर्वाद अउ , बहुते पुण्य कमाय ।। धन दौलत से हे बड़े, पानी के ये बूँद । कइसे बचही सोच ले , आँखी ला झन मूंद ।। माटी मा बाढ़े हवन , माटी हमर परान । माटी के सेवा करव, एहर स्वर्ग समान ।। माट

माता दुर्गा

Image
माता दुर्गा माता दुर्गा राख ले , हमरो तैंहा लाज । आये हावन तीर मा , पूरा कर दे काज ।। नान नान लइका हमन , सेवा  करथन तोर । सबके संकट दूर कर , विनती सुनले मोर ।। दरशन खातिर तोर माँ, नर नारी सब आय । आनी बानी फूल अउ , छप्पन भोग लगाय ।। खप्पर धर के हाथ मा , काली रुप देखाय । पापी मन ला मार के,  दुनिया सबो बचाय ।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया  (कवर्धा ) छत्तीसगढ़ 8602407353 Mahendra Dewangan Mati @