शारदे वंदन
शारदे वंदन चरण कमल में तेरे माता, अपना शीश झुकाते हैं । ज्ञान बुद्धि के देने वाली, तेरे ही गुण गाते हैं ।। श्वेत कमल में बैठी माता, कर में पुस्तक रखती है । राजा हो या रंक सभी का , किस्मत तू ही लिखती है ।। वीणा की झंकारे सुनकर, ताल कमल खिल जाते हैं । बैठ पुष्प में तितली रानी, भौंरा गाना गाते हैं ।। मधुर मधुर मुस्कान बिखेरे , ज्ञान बुद्धि तू देती है । शब्द शब्द में बसने वाली, सबका मति हर लेती है ।। मैं अज्ञानी बालक माता, शरण आप के आया हूँ । झोली भर दे मेरी मैया, शब्द पुष्प मैं लाया हूँ ।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया छत्तीसगढ़ 07/09/18 mahendradewanganmati@gmail.com कुकुभ छंद मात्रा ---- 16 +14 = 30 पदांत दो गुरु अनिवार्य