तोर सपना


तोर सपना
(गीतिका छंद  - श्रृंगार रस )

देख तोला आज मोरे , मन मचल अब जात हे ।
रात दिन गुनत रहिथौं मँय , तोर सपना आत हे ।।

डार खोपा रेंगथस तैं , मोंगरा ममहात हे ।
देख के भौंरा घलो हा , तोर तीर म आत हे ।।

आँज के काजर ल तैंहा , बाण हिरदे मारथस ।
गाल होथे लाल तोरे , खिल खिला के हाँसथस ।।

काय जादू डार दे हस , तोर सुरता आत हे ।
देखथँव मँय जेन कोती , चेहरा झुल  जात हे

रचनाकार
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया छत्तीसगढ़
17/08/2019

( छत्तीसगढ़ी भाषा में)

Comments

Popular posts from this blog

तेरी अदाएँ

अगहन बिरसपति

वेलेंटटाइन डे के चक्कर