कम परिवार सुखी परिवार
कम परिवार सुखी परिवार
( चौपाई छंद)
जेकर जादा लइका होवय । घेरी बेरी वोहर रोवय ।।
पइसा कौड़ी कुछु नइ बाँचय । मुड़ मा चढ़ के लइका नाचय ।।
एक कमइया चार खवइया । कइसे बाँचय पइसा भैया ।
होवत हावय ताता थैया । कइसे पार लगावे नैया ।।
रोज रोज के झगरा होवय । घर में दाई अब्बड़ रोवय ।।
सिरतो कहिथों नोहय ठठ्ठा । मुड़ के येहा भारी गट्ठा ।।
माटी के गा कहना मानव । कम लइका के महिमा जानव ।।
कम परिवार सुखी हे जादा । नइ आवय काँही जी बाधा ।।
रचनाकार
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया छत्तीसगढ़
17/08/2019
( छत्तीसगढ़ी भाषाा में)
Comments
Post a Comment