मकर संक्रांति मनाबो

मकर संक्रांति

तिल गुड़ के लाड़ू ला , मया बाँध के खाबो ।
आवव संगी जुर मिल के , मकर संक्रांति मनाबो ।।
दक्षिण में हे सूरज हा , उत्तर में  अब जाही ।
पूस के जाड़ा अब्बड़ हाबे , वहू अब भगाही ।।
आनी बानी रंग रंग के,  पतंग घलो उड़ाबो ।
आवव संगी जुर मिल के , मकर संक्रांति मनाबो ।।

सुत उठ के बिहनिया ले , नदियाँ नहाय बर जाबो ।
दीन दुखी ला दान करके , देवता दर्शन पाबो ।।
मकर रेखा में जाही सूरज  , दिन हा बाढ़त जाही ।
आवत हावय पूस पुन्नी हा , छेरछेरा घलो ह आही ।।
तिल गुड़ के बंधना कस , सबो समाज बंधाबो ।
आवव संगी जुर मिल के , मकर संक्रांति मनाबो ।।

महेन्द्र देवांगन माटी
( बोरसी - राजिम)
8602407353
Mahendra Dewangan Mati

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