मनखे मनखे एक
मनखे मनखे एक
सत्य नाम के अलख जगा के , बाबा जी हा आइस ।
गाँव नगर मा घूम घूम के , झंडा ला फहराइस ।।
मनखे मनखे एक हरे जी , भेदभाव झन मानव ।
सबके एके लहू हवय जी , एला सबझन जानव ।।
दया करव सब जीव जन्तु मा , कोनों ला झन मारव ।
पाप करव झन जान बूझ के , आँखी अपन उघारव ।।
बाबा जी के संदेशा ला , घर घर मा पहुचावव ।
जैत खाम के पूजा करलव , सेत धजा फहरावव ।।
सादा जीवन उच्च विचार ल , जे मनखे अपनाइस ।
जीवन ओकर तरगे संगी , कभू दरद नइ पाइस ।।
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया छत्तीसगढ़
8602407353
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