माँ की ममता

माँ की ममता
(सार छंद)

माँ की ममता होती प्यारी  , कोई जान न पाये ।
हर संकट से हमें बचाती , उसकी सभी दुआएँ ।।1।।

पल पल नजरें रखती है वह , समझ नहीं हम पाते ।
टोंका टांकी करती है जब , हम क्यों गुस्सा जाते ।।2।।

भूखी प्यासी रहकर भी माँ , हमको दूध पिलाती ।
सभी जिद्द वह पूरा करती , राह नया दिखलाती ।।3।।

सर्दी गर्मी बरसातों में , हर पल हमें बचाती ।
बुरी नजर ना लगे लाल को , आँचल से ढँक जाती ।।4।।

बड़े हुए जब बच्चे देखो , सपने सारे तोड़े ।
भूल गए उपकारों को अब , माँ से मुँह को मोड़े ।।5।।

हुए गुलाम बहू का देखो , माता बोझा लागे ।
बेटा जो नालायक निकला , कर्तव्यों से भागे ।।6।।

सिसक रही है माँ की आत्मा , कोने में है रोती ।
किस कपूत को जाया है वह , आँसू से मुँह धोती ।।7।।

जो करते अनदेखा माँ को , कभी नहीं सुख पाते ।
घुमता है जब चक्र समय का , जीवन भर पछताते ।।8।।

माँ तो ममता की मूरत है  , कभी नहीं कुछ लेती ।
गिरकर देखो चरणों में तुम  , माफी सब कर देती ।।9।।

*माटी* करते सबसे विनती ,  माँ को ना तड़पाओ ।
रखो ह्रदय में प्रेम भाव से  , घर को स्वर्ग बनाओ ।।10।।

महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया छत्तीसगढ़
8602407353
Mahendra Dewangan Mati

सार छंद- -- 16 + 12 =28 मात्रा
पदांत -- 2 लघु  या  1 गुरु

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