पर्यावरण पच्चीसी

पर्यावरण पच्चीसी

स्वच्छ रखो पर्यावरण,  सभी लगाओ पेड़ ।
रहे सदा खुशहाल सब , प्रकृति को मत छेड़ ।।1।।

शुद्ध रखो पर्यावरण,  स्वस्थ रहे परिवार ।
खान पान भी शुद्ध हो , कोइ न हो बीमार ।।2।।

चिड़िया आती पेड़ में,  बैठे रहती छाँव ।
लगे भला पर्यावरण,  सुंदर लगते गाँव ।।3।।

सबके दिल में प्रेम हो , पालो मत तुम बैर ।
नहीं बचा पर्यावरण,  किसकी है फिर खैर ।।4।।

कट जाये सब पेड़ तो,  कैसे वर्षा होय ।
पर्यावरण खराब हो , माथ पकड़ सब रोय ।।5।।

नदियाँ नाला शुद्ध हो , शुद्ध रखो सब ताल ।
पर्यावरण शुद्ध रखो ,नहि आयेगा काल ।।6।।

धुआँ धूल से होत है , पर्यावरण खराब ।
असर पड़त है लोक पर , जानो इसे जनाब ।।7।।

हरी भरी धरती दिखे , ग्रीष्म शरद बरसात ।
स्वच्छ लगे पर्यावरण,  मानो अपनी बात ।।8।।

पाॅलिथीन से होत है,  पर्यावरण विनाश ।
सड़ते नहीं जमीन पर , उगे न कोई घास ।।9।।

कूड़ा कचरा डालकर,  बदबू मत फैलाव ।
साफ रखो परिवेश को , पर्यावरण बचाव ।।10।।

दूषित हो पर्यावरण,  नहीं बचेंगे लोग ।
मुश्किल होगा श्वांस भी , बढ़ जायेगा रोग ।।11।।

पेड़ काटकर कर रहे,  जंगल पूरा साफ ।
पर्यावरण सिसक रहा,  नहीं करेंगे माफ ।।12।।

जंगल झाड़ी काटकर,  बना रहे घर द्वार ।
पर्यावरण विनाश कर , चला रहे हैं कार ।।13।।

मोटर गाड़ी का धुआँ,  बढ़ा रहा है रोग ।
पर्यावरण विनाश कर , कहां रहेंगे लोग ।।14।।

पेड़ लगाओ गाँव में,  मिलती सबको छाँव ।
शुद्ध रहे पर्यावरण,  नहीं जलेगा पाँव ।।15।।

पर्यावरण विनाश से,  मरते हैं सब लोग ।
कहीं बाढ़ सूखा कहीं , जीव रहे हैं भोग ।।16।।

पेड़ों को मत काटिए,  मिले उसी की आह ।
पर्यावरण बचाइये,  तभी मिलेगी राह ।।17।।

सड़क बनाते लोग हैं,  वृक्ष रहे हैं काट ।
पर्यावरण विनाश कर , देख रहे हैं बाट ।।18।।

पानी डालो नित्य ही,  पौधे सभी उगाव ।
हरी भरी धरती दिखे , पर्यावरण बचाव ।।19।।

धुआँ धूल की मार से , दूषित है आकाश ।
बढ़े प्रदूषण रोज ही,  पर्यावरण विनाश ।।20।।

सूख रही धरती सभी , पड़ते यहां अकाल ।
पर्यावरण प्रकोप से,  बिगड़े सबकी चाल ।।21।।

कोयल कूके बाग में , नाचे वन में मोर ।
पर्यावरण निहारते , बनकर के चितचोर ।।22।।

हरियाली चहुँओर हो , मन भी रहे प्रसन्न ।
पर्यावरण शुद्ध रहे,  खूब उगेगा अन्न ।।23।।

करो सुरक्षा रोज ही,  तभी बचे संसार ।
शुद्ध रहे पर्यावरण,  इस पर करो विचार ।।24।।

माटी में मिलते सभी,  सोना चाँदी हीर ।
पर्यावरण बचाय के,  समझो माटी पीर ।।25।।

महेन्द्र देवांगन  माटी
पंडरिया
 छत्तीसगढ़
mahendradewanganmati@gmail.com
8602407353

दोहे- - 13 + 11 = 24 मात्रा

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