भोर हुआ
भोर हुआ
( सार छन्द में )
भोर हुआ सूरज उग आया, चिड़ियाँ पाँखे खोले ।
छत के ऊपर आ बैठी है, चींव चींव वह बोले ।।
सरसर सरसर हवा चली है, मौसम हुआ सुहाना ।
फूलों से खुशबू जब आये, भौंरा गाये गाना ।।
उड़ती तितली बागों में अब , फूलों पर मँडराये ।
भाँति भाँति के फूल खिले हैं, सबके मन को भाये ।।
कोठे पर बैठी है गैया , बछड़ा भी रंभाये ।
रावत भैया दूध दूहने, बाल्टी लेकर जाये ।।
माटी की खुशबू को देखो , सबके मन को भाये ।
आओ प्यारे इस माटी को , माथे तिलक लगायें ।।
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया (कवर्धा )
छत्तीसगढ़
Mahendra Dewangan Mati
Comments
Post a Comment