गेंड़ी
छन्न पकैया छन्न पकैया, सावन आ गे भइया ।
हरियर हरियर चारों कोती, चरे घास ला गइया ।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, कर ले नाँगर पूजा ।
मया प्रेम ला राखे रहिबे, झन करबे तैं दूजा ।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, लइका चढहे गेड़ी ।
रिच्चिक रिच्चिक बाजत हावय , मचय उठा के एड़ी ।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, घर घर खोंचय डारा ।
बइगा मन हा घूमत संगी , ए पारा वो पारा ।।
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मात्रा ---- 16 + 12 = 28
ये हर सार छन्द के एक किसम हरे । येमा "छन्न पकैया छन्न पकैया" एक टेक बरोबर शुरु मा आथे ।
बाकी सब नियम सार छन्द के लागू होथे ।
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया (कबीरधाम )
छत्तीसगढ़
8602407353
@Mahendra Dewangan Mati
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