बरसा पानी
छन्न पकैया छन्न पकैया , आ गे बरसा पानी ।
नदियाँ नरवा लहरा मारे , होय करेजा चानी ।।1।।
छन्न पकैया छन्न पकैया , डोंगा हा लहरावे ।
काँपत हावय पोटा संगी , कइसे पार लगावे ।।2।।
छन्न पकैया छन्न पकैया , पानी पूरा भरगे ।
बूड़त हावय गाँव गली हा, कतको मनखे मरगे ।।3।।
छन्न पकैया छन्न पकैया , राहत दल हा आइस ।
जान अपन जोखिम मा डारे , लइका लोग बचाइस ।।4।।
छन्न पकैया छन्न पकैया , परलय हा जब आथे ।
बड़े बड़े जी महल अटारी , माटी मा मिल जाथे ।।5।।
छन्न पकैया छन्न पकैया , कतको राहय चोखा ।
ऊपर वाला के आघू मा , खा जाथे जी धोखा ।।6।।
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मात्रा ---- 16 + 12 = 28
ये हर सार छन्द के एक किसम हरे । येमा "छन्न पकैया छन्न पकैया" एक टेक बरोबर शुरु मा आथे ।
बाकी सब नियम सार छन्द के लागू होथे ।
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया (कबीरधाम )
छत्तीसगढ़
8602407353
@Mahendra Dewangan Mati
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