माटी के चोला ( सार छन्द )
माटी के चोला
राम भजन ला गा ले भैया, इही काम गा आही ।
माटी के चोला हा संगी , माटी मा मिल जाही ।।
कतको धन दौलत ला रखबे , काम तोर नइ आये ।
छूट जही जब जीव ह तोरे, सँग मा कुछु नइ जाये ।।
देखत रइही नाता रिश्ता, बरा भात ला खाही ।
माटी के चोला हा संगी , माटी मा मिल जाही ।।
मया मोह के फेरा मा तैं, दुनिया सबो भुलाये ।
काम करे तैं मर मर सब बर , पाछू बर पछताये ।।
कर ले सेवा दीन दुखी के, नाम तोर रहि जाही ।
माटी के चोला हा संगी , माटी मा मिल जाही ।।
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया (कबीरधाम )
छत्तीसगढ़
8602407353
@Mahendra Dewangan Mati
नियम -- मात्रा 16 + 12 = 28
तुकांत के नियम --- दू दू डाँड़ मा ( सम सम चरण मा ) आखिर मा एक बड़कू ( गुरु ) या दू नान्हे (लघु ) होना चाहिए ।
तुकांत मा दू बड़कू (गुरु ) आये ले छन्द अउ गुरतुर हो जाथे ।
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