बेटी बेटा

बेटी बेटा

भेदभाव ला छोड़ के  , दूनों ला तँय मान ।
बेटी  बेटा  एक  हे ,  कुल के दीपक जान ।।

रौशन करथे एक दिन , दो दो कुल के नाम ।
बेटी बने पढ़ाव जी  , बनही बिगड़े काम ।।

पढ़े लिखे से होत हे,  घर मा शिष्टाचार ।
गारी गल्ला छोड़ के,  सीखय सब संस्कार ।।

बेटी बेटा संग मा , सब ला बने पढ़ाव ।
भरही झोली ज्ञान के,  जग मा नाम कमाव ।।

मनखे मनखे एक हे , झन कर कोनों भेद ।
जेमा तैंहा खाय हस , ओमे झनकर छेद ।।

महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया छत्तीसगढ़
@ Mahendra Dewangan Mati

दोहा -- 13 +11 = 24 मात्रा

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