भाजी पाला

भाजी पाला

भाजी पाला हा बने , गरमी माह सुहाय ।
फोरन दे के राँध ले , अब्बड़ भात खवाय ।।

भौजी जाय बजार मा , लावय भाजी चेंच ।
भैया मन भर खात हे , लमा लमा के घेंच ।।

तिंवरा भाजी देख के,  मन हा बड़ ललचाय ।
चना दार मा राँध ले , आगर भात खवाय ।।

मुनगा भाजी खाय के , मुसुर मुसुर मुसकाय।
कतको हरथे रोग ला , दांत बने चमकाय ।।

कांदा भाजी मा घलो, अबड़ विटामिन पाय ।
ताकत आवय देंह मा , बबा बतावय राय ।।

दार संग मा राँध ले , सुघ्घर भाजी लाल ।
खाथे जेहा रोज के , चिक्कन दिखथे गाल ।।

तरिया नदियाँ तीर मा , चुनचुनिया ला पाय ।
चटनी सहीं बनाय के,  चाट चाट के खाय ।।

करमत्ता के साग मा , करमा माता आय ।
भोग लगा के प्रेम से,  आशीरवाद  पाय ।।

पटवा भाजी राँध ले , सँग मा लहसुन डार ।
परोसीन हा सूंघ के,  टपकावत हे  लार ।।

मखना हावय नार मा , भाजी ला तैं टोर ।
खाये के मन आज हे , झोला मा ले जोर ।।

चौंलाई के चाल ला , जानत नइहे कोन ।
खा के बड़ गुन गात हे , बहू लगावय फोन ।।

भाजी मा हे गुन बहुत  , जेहा येला खाय ।
होय बिमारी दूर जी,   ताकत अब्बड़ आय ।।

महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया  (कवर्धा )
छत्तीसगढ़
@Mahendra Dewangan Mati

दोहा छंद 13 +11 = 24 मात्रा

Comments

Popular posts from this blog

तेरी अदाएँ

अगहन बिरसपति

वेलेंटटाइन डे के चक्कर