हरेली तिहार आ गे

हरेली तिहार आ गे
(प्रिया देवांगन प्रियू )

हरेली तिहार हा आगे संगी ,  हरियाली हा छाये ।
रापा कुदारी धरके संगी , खेत डहर सब जाये।
हरेली के तिहार ल , किसान खुशी से मनाथे ।
बिहनिया ले उठ के सब , चीला चढ़ाये ल जाथे।
हाँसी खुशी से तिहार मनाथे , धरती के पूजा करथे।
झन होवय नुकसान कहिके,  प्रार्थना सब झन करथे।।
सांप हा आथे कहिके , खेत मा दूध मढ़ाथे ।
दूध ल देखथे ताहन , बिलई पी के भाग जाथे।
बिहनिया ले उठ के लइका , डारा खोंचे ला जाथे ।
डारा खोंचके लइका मन , पइसा अब्बड़ पाथे ।
गेड़ी चढ़े के तिहार हरे संगी  , साल मा एक बार आथे
सबो लइका जुर मिल के  , गेड़ी तिहार मनाथे।।

रचना
प्रिया देवांगन "प्रियू"
पंडरिया कवर्धा
छत्तीसगढ़
Priya Dewangan Priyu

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