मिलके सबझन लड़बो
आज लेवत हन हम प्रतिज्ञा , मिल जुल आघू बढ़बो ।
मांग पूरा नइ होही तब तक , मिलके सबझन लड़बो ।
नइ झुकन हम काकरो आघू , चाहे कुछ हो जाये ।
अपन हक के खातिर लड़बो , चाहे तूफां आये ।
देना परही ओला संगी , नहीं ते हमू मन चढ़बो ।
मांग पूरा नइ होही तब तक , मिलके सबझन लड़बो ।
भेदभाव अब झन कर तैंहा , नहीं ते मुँह के खाबे ।
आही हमरो एक दिन पारी , पता नहीं कहाँ जाबे ।
देना हे तो दे दे तैंहा , नहीं ते चढ़ाई करबो ।
मांग पूरा नइ होही तब तक , मिलके सबझन लड़बो ।
धोखा अब्बड़ खायेन संगी , अब धोखा नइ खावन ।
काकरो बंहकावा में आ के , ओकर संग नइ जावन ।
अपने दम में लड़बो हमन , आघू आघू बढ़बो ।
मांग पूरा नइ होही तब तक , मिलके सबझन लड़बो ।
आज लेवत हन ............................
रचना
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया (कवर्धा )
छत्तीसगढ़
8602407353
Mahendra Dewangan Mati @
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