माटी के दोहे

बेटी बेटा एक हे , होथे घर के शान ।
दूनों कुल के दीप हे , एला तेंहा मान ।।

झन कर गरब गुमान तैं , आये खाली हाथ ।
राखे धन ला जोर के,  नइ जाये वो साथ ।।

पढ़ लिख के आघू बढ़त,  जग मा नारी आज ।
देखत रहिगे लोग हा, करथे पूरा काज ।।

कंधा ले कंधा मिला  , चलथे नारी आज ।
चाहे कोनों काम हो , हावय सबला नाज ।।

सतमारग मा रेंग के,  बाँटव सबला ज्ञान ।
गुरू कृपा ले हो जथे , मूरख भी  विद्वान ।।

पत्नी हा सरपंच हे , पति हा करथे राज ।
धुर्रा झोंकत आँख मा , हावय धोखेबाज ।।

नारी के मन साफ हे , होथे फूल समान ।
आथे इज्जत आंच तब , धरथे तीर कमान ।।

जीवन भर सेवा करय, सबला अपने मान ।
नारी छँइहा देत हे , होथे पेड़ समान ।।

नदियाँ नरवा ताल मा,  पानी सबो सुखाय।
बांधे नइहे पार ला , कइसे जल सकलाय ।।

पानी हा अनमोल हे , एकर महिमा जान ।
बाँध बना के रोक लो ,   बचही तभे परान ।।

आवत जावत लोग ला , पानी जेन पियाय ।
मिलथे आशीर्वाद अउ , बहुते पुण्य कमाय ।।

धन दौलत से हे बड़े, पानी के ये बूँद ।
कइसे बचही सोच ले , आँखी ला झन मूंद ।।

माटी मा बाढ़े हवन , माटी हमर परान ।
माटी के सेवा करव, एहर स्वर्ग समान ।।

माटी मा उपजे सबो , गन्ना गेहूँ धान ।
सेवा करथे रोज के,  जाथे खेत किसान ।।

माटी के काया हरय,  माटी मा मिल जाय ।
झन कर गरब गुमान तैं , काम तोर नइ आय ।।

चंदन जस माटी हवय , माथे तिलक लगाय ।
रक्षा खातिर देश के, सीमा सैनिक जाय ।।

पहली सावन के घटा, सबके मन ला भाय।
गिरथे पानी बूँद तब,  माटी हा ममहाय ।।

माटी से निकले सबो , लोहा ताँबा सोन ।
धरती माँ के गोद से,  बढ़ के हावय कोन ।।

धन दौलत के पाछु मा , परे रथे दिन रात ।
सँग मा कुछु जावय नहीं,  माटी मा मिल जात ।।

महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया कवर्धा
छत्तीसगढ़
8602407353
Mahendra Dewangan Mati @

Comments

Popular posts from this blog

तेरी अदाएँ

अगहन बिरसपति

वेलेंटटाइन डे के चक्कर