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Showing posts from November, 2017

बरबाद होगे

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बरबाद होगे *************** बरबाद होगे भैया, दारु पी के सब बरबाद होगे । सूरा सहीं घोन्डे हाबे 2, कइसन ए अजाद होगे। बरबाद होगे बरबाद होगे भैया .............................. एक पौवा पीथे ताहन, आंखी ल देखाथे । दूसर पौवा चढथे ताहन, शेर सही गुरराथे । रंग रंग के गारी देके, झगरा ल मताथे बरबाद होगे बरबाद होगे भैया, दारु पी के सब बरबाद होगे । लोग लइका भूखन मरत, ओकर नइहे चिंता । गली गली में घूमत हाबे, होवत ओकर हिंता । करजा में बूड़े हाबे, भागत हे लुकाके । बरबाद होगे बरबाद होगे भैया, दारु पी के सब बरबाद होगे । जेब में रहिथे पइसा ताहन, अब्बड़ मटमटाथे । मुरगा मटन खाथे अऊ , चार झन ल खवाथे । मारत हे पुटानी अऊ , खेत खार बेचागे । बरबाद होगे बरबाद होगे भैया, दारु पी के सब बरबाद होगे । एकरे सेती काहत हावों , झन पीयो जी दारु । लोग लइका के चेत करले , सुन ले ग समारु । शरीर ह खोखला होके, बढ जाथे बीमारी । बरबाद होगे बरबाद होगे भैया, दारु पी के  सब बरबाद होगे । महेन्द्र देवांगन माटी    पंडरिया (कवर्धा ) छत्तीसगढ़ Mahendra Dewangan Mati @ 8602407353

माता की कृपा

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माता की कृपा *************** मां दुर्गा के चरणों में मैं, अपना शीश झुकाता हूँ । तेरे दर पे आकर माता, श्रद्धा के फूल चढाता हूँ । कोई न हो जग में दुखी मां , तेरी कृपा बनी रहे । बस इसी आशा से मैं, लोगों को भजन सुनता हूँ । जिस पर तेरी कृपा पड़े मां , भाग्य बदल जाता है । पल भर में ही वह मानव , रंक से राजा बन जाता है । जहां जहां तक नजरें जाती , सब पर तेरी माया है । प्रकृति का कण कण भी, तुझ पर ही बलि जाता है । तेरे दर पे आकर माता, मन का बगिया खिलता है । भूल जाता हूँ दुनियादारी, सुकून मन को मिलता है । तेरी याद में हर दिन माता, मैं ये भजन लिखता हूँ । तेरी कृपा के बिना तो माँ,  पत्ता भी न हिलता है । रचना  Mahendra Dewangan Mati महेन्द्र देवांगन "माटी"   पंडरिया (छत्तीसगढ़ ) मो नं -- 8602407353 Email - mahendradewanganmati@gmail.com

जाड़ ह जनावत हे

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जाड़ ह जनावत हे ************** चिरई-चिरगुन पेड़ में बइठे,भारी चहचहावत हे। सुरूर-सुरूर हवा चलत,जाड़ ह अब जनावत हे। हसिया धर के सुधा ह,खेत डाहर जावत हे। धान लुवत-लुवत दुलारी,सुघ्घर गाना गावत हे। लू-लू के धान के,करपा ल मढ़ावत हे। सुरूर-सुरूर हवा चलत ,जाड़ ह अब जनावत हे। पैरा डोरी बरत सरवन ,सब झन ल जोहारत हे। गाड़ा -बइला में जोर के सोनू ,भारा ल डोहारत हे धान ल मिंजे खातिर सुनील,मितान ल बलावत हे। सुरूर-सुरूर हवा चलत,जाड़ ह अब जनावत हे।। पानी ल छुबे त ,हाथ ह झिनझिनावत हे। मुहू में डारबे त,दांत ह किनकिनावत हे। अदरक वाला चाहा ह,बने अब सुहावत हे। सुरूर-सुरूर हवा चलत,जाड़ ह अब जनावत हे।। खेरेर-खेरेर लइका खांसत,नाक ह बोहावत हे डाक्टर कर लेग-लेग के,सूजी ल देवावत हे। आनी-बानी के गोली-पानी,अऊ टानिक ल पियावत हे। सुरूर-सुरूर हवा चलत ,जाड़ ह अब जनावत हे।। पऊर साल के सेटर ल,पेटी ले निकालत हे बांही ह छोटे होगे,लइका ह रिसावत हे। जुन्ना ल नइ पहिनो कहिके,नावा सेटर लेवावत हे।। सुरूर-सुरूर हवा चलत ,जाड़ ह अब जनावत हे।। रांधत - रांधत बहू ह,आगी ल अब तापत हे लइका ल नउहा हे त ,कुड़कुड़-कुड़कु