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सेल्फी

सेल्फी ************* जिधर देखो उधर, सेल्फी ले रहे हैं । ओरिजनल का जमाना गया, बनावटी मुस्कान दे रहे हैं । भीड़ में भी आदमी आज अकेला है तभी तो बनावटी मुस्कान देता है । और जहाँ भीड़ दिखे वहाँ खुद मुस्करा कर सेल्फी लेता है । भीड़ में दिख गया कोई अच्छी सी लड़की तो आदमी पास चला जाता है । चुपके से सेल्फी लेकर अपने दोस्तों को दिखाता है । दिख गया कहीं जुलूस तो लोग आगे आ जाते हैं । और एक सेल्फी लेकर पता नही कहां गायब हो जाते हैं । खाते पीते उठते बैठते लोग सेल्फी ले रहे हैं । मैं समाज के अंदर हूँ ये बतलाने फेसबुक और वाटसप पर भेज रहे हैं । सच तो ये है आदमी कितना अकेला हो गया है । एक फोटो खींचने वाला भी नहीं मिल रहा इसीलिए तो सेल्फी ले रहा है । ************** महेन्द्र देवांगन "माटी "        पंडरिया

आमा के चटनी

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आमा के चटनी **************** आमा के चटनी ह अब्बड़ मिठाथे, दू कंऊरा भात ह जादा खवाथे । कांचा कांचा आमा ल लोढहा म कुचरथे, लसुन धनिया डार के मिरचा ल बुरकथे। चटनी ल देख के लार ह चुचवाथे, आमा के चटनी ह अब्बड़ मिठाथे । बोरे बासी संग में चाट चाट के खाथे, बासी ल खा के  हिरदय ह जुड़ाथे , खाथे जे बासी चटनी अब्बड़ मजा पाथे आमा के चटनी ह अब्बड़ मिठाथे । बगीचा में फरे हे लट लट ले आमा , टूरा मन देखत हे धरों कामा कामा । छिप छिप के चोराय बर बगीचा में जाथे आमा के चटनी ह अब्बड़ मिठाथे । दाई ह हमर संगी चटनी सुघ्घर बनाथे, ओकर हाथ के बनाय ह गजब मिठाथे । कुर संग म भात ह उत्ता धुर्रा खवाथे आमा के चटनी ह अब्बड़ मिठाथे । ****************** रचना महेन्द्र देवांगन "माटी" गोपीबंद पारा पंडरिया जिला -- कबीरधाम  (छ ग ) पिन - 491559 मो नं -- 8602407353