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Showing posts from November, 2016

छत्तीसगढ़ी भासा

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छत्तीसगढ़ी भासा ल पढबो अऊ पढाबोन हमर राज ल जुर मिलके, सबझन आघू बढाबोन । नोनी पढही बाबू पढही, पढही लइका के दाई । डोकरा पढही डोकरी पढही, पढही ममा दाई । इसकूल आफिस सबो जगा,छत्तीसगढ़ी में गोठियाबोन। अपन भासा बोली ल, बोले बर कार लजाबोन । कतको देश विदेश में पढले, फेर छत्तीसगढ़ी ल नइ भुलावन । अपन रिती रिवाज ल संगी , कभू नइ  गंवावन । काम काज के भासा घलो, छत्तीसगढ़ी ल बनाबोन । देश विदेश सबो जगा, एकर मान बढाबोन । रचना महेन्द्र देवांगन "माटी "     पंडरिया 8602407353

जाड़ बाढ़त हे

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जाड़ बाढ़त हे ****************** सुर सुर सुर सुर हवा चलत हे, जाड़ अब्बड़ बाढ़हत हे बिहनिया के होते साठ डोकरी ह आगी  बारत हे। जुड़ पानी ल छुये नइ सकस, तात पानी ल मढहावत हे, लोग लइका के नाक बोहावत, डोकरा ह खिसियावत हे। खोरोर खोरोर खांसत डोकरी, डोकरा ह बगियावत हे, काम बुता जादा झन करे कर डोकरी, डोकरा ह समझावत हे। चुल्हा तीर मे बइठ के डोकरा, बिड़ी ल सुलगावत हे, सेटर साल ल ओढ के डोकरी, आगी ल सिपचावत हे। गरम पानी में नहावत डोकरा जाड़ ह अब्बड़ लागत हे घाम तीरन बइठ के डोकरी, दार भात साग खावत हे। ************ रचना प्रिया देवांगन "प्रियू" गोपीबंद पारा पंडरिया जिला -- कबीरधाम  ( छ ग ) Email -- priyadewangan1997@gmail.com

रोटियां

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रोटियां ********** गोल गोल जब घर में, बनती हैं रोटियां खाकर मन तृप्त हो जाती है रोटियां। आते ही घर में, पानी देती है बेटियाँ गरम गरम तुरंत, खिलाती हैं रोटियां । चंदा सा गोल , जब बनती हैं रोटियां नया नया सपना, दिखाती हैं रोटियां । मेहनत कर कमाई से,जब खाते हैं रोटियां दिल में सुकून और शांति, दे जाती हैं रोटियां । मां अपनी हाथों से,जब बनाती हैं रोटियां दो कौर और ज्यादा, खिलाती हैं रोटियां । ************** रचना प्रिया देवांगन "प्रियू" गोपीबंद पारा पंडरिया जिला -- कबीरधाम  ( छ ग ) Email -- priyadewangan1997@gmail.com

मोदी बम

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मोदी बम फूटगे, काला धन वाला मन के पसीना छूटगे। पइसा के दम में बड़ अटियाय, छोटे आदमी मन से, सोजबाय नइ गोठियाय । अब तो भात ह नइ खवावत हे, पानी तक ह टोंटा में नइ लिलावत हे। रात रात भर घुघवा कस जागत हे, अब तो हार्ट अटेक आ जही,अइसे लागत हे। एती मायावती मुलायम राहूल, सबो झन बड़बड़ावत हे, कइसे जीतबो चुनाव, चेथी ल खजवावत हे। अब निकालत बनत न धरत बनत सांप छछूंदर कस गति होगे, राजा से एके घंऊ रंक बनगे बइहा भूतहा कस मति होगे । मोदी फोरीस अइसे बम न बाजीस न लागीस सबके निकलगे एके दरी दम। चाय वाला कोन अऊ अर्थशास्त्री कोन समझ में  नइ आवत हे, अर्थशास्त्री चाय पीयत बइठे हे अऊ चाय वाला सरजिकल स्ट्राइक लगावत हे। महेन्द्र देवांगन माटी ✍� 😃😃😃😃😃😃😃Ⓜ🙏�🙏