माटी के दीया

माटी के दीया जलावव
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माटी के दीया जलावव संगी, माटी के दीया जलावव ।
चाइना माल के चक्कर छोड़ो, स्वदेसी ल अपनावव।
माटी के दीया  ........................

बइठे हे कुमहारिन दाई, देखत हाबे रसता ।
राखे हाबे माटी के दीया, बेचत सस्ता सस्ता ।
का सोंचत हस ले ले संगी, घर घर  में बगरावव।
माटी के दीया जलावव संगी, माटी के दीया जलावव 

झालर मालर छोड़ो संगी, दीया ल बगरावव।
माटी के दीया जलाके संगी, लछमी दाई ल बलावव ।
घर में आही सुख सांति, जुर मिल तिहार मनावव।
माटी के दीया जलावव संगी, माटी के दीया जलावव ।

चाइना माल से होवत हाबे, जन धन सबमे हानि ।
हमर देस में बिकरी करके, करत हे मनमानी ।
आंख देखावत हमला ओहा, वोला तुम दुतकारव
माटी के दीया जलावव संगी,माटी के दीया जलावव ।

आवत हे देवारी तिहार, घर कुरिया ल लीपावव ।
गली खोर ल साफ  रखो, स्वच्छता के संदेश लावव।
ओदरत हाबे घर कुरिया ह, सब ल तुम छबनावव।
माटी के दीया जलावव संगी, अंधियारी ल भगावव ।

रचना
महेन्द्र देवांगन माटी

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