दाई के मया
दाई के मया ************** तोर मया के अंचरा में दाई, खेलेंव कूदेंव बढेंव । पढ़ लिख के हुसियार बनेंव, जिनगी के रसता गढेंव। सोज रसता म तैं चलाये, कांटा कभू नइ गड़ेंव । मया के झूलना म तैं झुलाये, सुख के पाहड़ चढेंव। लांघन भूखन खुद रहिके, मोला तैं खवायेस । जाड़ घाम अऊ पानी ले, मोला तैं बचायेस । खुद अड़ही रहिके दाई, मोला तैं पढायेस । नाम कमाबे बेटा कहिके, गोड़ में खड़ा करायेस । कतको दुख पीरा आइस, छाती में अपन छुपायेस बेटी बेटा के सुख खातिर, हांस के तै गोठियायेस। तोर मया के करजा ल, कभू उतार नइ पांवव । हर जनम में दाई मेंहा, तोरेच कोरा में आंवव । **************************** रचना महेन्द्र देवांगन "माटी" गोपीबंद पारा पंडरिया जिला -- कबीरधाम (छ ग ) पिन - 491559 मो नं -- 8602407353 Email - mahendradewanganmati@gmail.com