जय गनेस देवा

जय गनेस देवा
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हिन्दू धरम में कोई भी काम करथे त सबसे पहिली गनेस जी के पूजा करे जाथे । गनेस जी ह मंगलकारी अऊ विघ्नहर्ता देवता हरे ।
           भादो महिना में चतुरथी से ले के चतुरदसी तक माने दस दिन तक पूरा भारत भर में गनेस उत्सव के रुप में मनाय जाथे ।
भादो महिना के अंजोरी पांख के चतुरथी के दिन गनेस जी के पूजा पाठ करके स्थापना करे जाथे। पूरा दस दिन तक धूमधाम से पूजा करे जाथे । आजकाल पूरा पंडाल ल विसेस रुप से सजाय जाथे अऊ कई परकार के कारयकरम भी रखे जाथे ।
गनेस भगवान ह हिन्दू मन के अराध्य देव हरे । कोई भी काम करे के पहिली एकरे पूजा करे जाथे ।
शिव पुराण में एक कथा आथे कि एक दिन माता पारवती ह अपन सरीर के मइल ल निकाल के एक बालक बनाइस ओकर नाम ओहा गनेस रखिस। जब माता पारवती ह नहाय बर गिस त गनेस जी ल पहरेदारी करे बर दरवाजा में खड़ा कर दिस अऊ बोलीस के मोर नहात ले कोनो ल भी भीतर खुसरन मत देबे । त गनेस जी ह दरवाजा में खड़े राहे । थोकिन बाद में संकर जी ह आ गे अऊ भीतरी डाहर खुसरे ल धरीस , त गनेस जी ह वोला रोक दीस । गनेस जी बोलीस के तेंहा अभी अंदर नइ जा सकस । तब गनेस जी अऊ संकर जी में लडइ हो गे । संकर भगवान ह घुस्सा में अपन तिरसुल से गनेस जी के मुड़ी ल काट दीस ।
जब माता पारवती ल ए बात ह पता चलीस त वो बहुत नराज होगे अऊ वोला जिंदा करे के जिद्द कर दीस ।माता पारवती के घुस्सा से सब देवता मन डररागे । देवरसी नारद के सलाह से माता जगदंबा के अस्तुती करके ओला सांत कराय गिस । सिव जी के आदेस से बिसनु जी ह उत्तर दिसा में गिस अऊ सबसे पहिली मिले जीव हाथी के मुड़ ल काट के लाइस ।ओला गनेस जी के धड़ में लगाइस ताहन गनेस जी ह जिंदा हो गे ।
    गनेस जी के जिंदा होय से सब देवी देवता खुस हो गे । सब कोई गनेस जी ल आसीरवाद दीस अऊ वोला गन नायक घोसीत करीस । वोला सबसे पहिली पूजा करे के वरदान मिलीस । तब से गनेस जी के पहिली पूजा करे जाथे ।
गनेस जी के पूजा करे से सब परकार के कस्ट अऊ बाधा ह दूर हो जाथे । घर में सुख  , समरिदधी अऊ सांति आथे ।
जय गनेस भगवान।
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लेख
महेन्द्र देवांगन "माटी"
गोपीबंद पारा पंडरिया
जिला -- कबीरधाम  (छ ग )
पिन - 491559
मो नं -- 9993243141
Email - mahendradewanganmati@gmail.com

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