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Showing posts from July, 2016

सावन सोमवारी

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सावन सोमवारी अऊ शिवजी ******************** सावन के महिना ह सबला सुघ्घर लागथे । रिमझिम रिमझिम पानी गिरत रथे अऊ किसान मन ह गाना गावत खेती किसानी में बुड़े रहिथे । उही समय में आथे सावन सोमवारी । सावन सोमवारी में शिवजी के पूजा करे में मजा आ जथे । लइका से लेके सियान तक , छोकरी से लेके डोकरी तक, सब मनखे शंकर भगवान के पूजा पाठ करथे । सावन मास ह शिव जी के प्रिय मास हरे । ए मास में पूजा करे से वोहा जल्दी खुस होथे अऊ मनवांछित फल देथे अइसे बताय जाथे । एकरे पाय पूरा भारत देस में सावन सोमवारी के दिन भोलेनाथ में जल चढाय जाथे अऊ बिसेस पूजा अरचना करे जाथे । पौरानिक मान्यता -- सोमवार उपवास के बारे में एक पौरानिक मान्यता हे कि ये पूजा ल माता पारवती ह शंकर भगवान ल अपन पति के रुप में  पाय बर करत रिहिसे । एकर से खुस होके भगवान शिव ह ओला मिलगे अऊ ओकर मनोकामना पूरा होगे । एकरे पाय कुंवारी लड़की मन भी भगवान भोलेनाथ जइसे अच्छा पति मिले कहिके उपवास रहिथे अऊ पूजा पाठ करथे । कावंरिया मन के टोली -- सावन मास में शंकर जी ल जल चढ़ाय बर गांव  गांव अऊ सहर सहर से कावंरिया मन टोली बनाके निकलथे । सब झन अपन अपन कां

हाईकू 1

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हाईकू ******** (1) आया सावन झूमें मनभावन लगे पावन । (2) छा गई घटा कुहरों से है पटा निराली छटा । (3) भीगी पलकें सावन सा झलके कराह हल्के । (4) भीगता तन विचलित सा मन अपनापन । (5) भागते लोग सुविधाओं का भोग करते योग । (6) निकले पेट जमीन पर लेट बैठते सेठ । ***************** ले   रचना महेन्द्र देवांगन माटी  ( बोरसी - राजिम वाले ) गोपीबंद पारा पंडरिया जिला  - कबीरधाम ( छ ग ) mahendradewanganmati@gmail.com

माटी मोर मितान

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माटी मोर मितान **************** सुक्खा भुंइया ल हरियर करथंव, मय भारत के किसान धरती दाई के सेवा करथंव, माटी मोर मितान । बड़े बिहनिया बेरा उवत, सुत के मय ऊठ जाथंव धरती दाई के पंइया पर के, काम बुता में लग जाथंव कतको मेहनत करथों मेंहा, नइ लागे जी थकान धरती दाई के सेवा करथंव, माटी मोर मितान । अपन पसीना सींच के मेंहा, खेत में सोना उगाथंव कतको बंजर भूंइया राहे, फसल मय उपजाथंव मोर उगाये अन्न ल खाके, सीमा में रहिथे जवान धरती दाई के सेवा करथंव , माटी मोर मितान । घाम पियास ल सहिके मेंहा, जांगर टोर कमाथंव अपन मेहनत के फसल ल, दुनिया में बगराथंव सबके आसीस मिलथे मोला, कतका करों बखान धरती दाई के सेवा करथंव, माटी मोर मितान । धरती दाई के सेवा करके, अब्बड़ सुख मय पाथंव कोनों परानी भूख झन मरे, सबला मेंहा खवाथंव सबके पालन पोसन करथों, मेहनत मोर पहिचान धरती दाई के सेवा करथंव, माटी मोर मितान । रचना महेन्द्र देवांगन "माटी" गोपीबंद पारा पंडरिया जिला -- कबीरधाम 8602407353

बादर ह बदरावत हे

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बादर ह बदरावत हे ***************** बरसा के दिन आगे संगी ,बादर ह बदरावत हे सुरूर सुरूर हावा चलत,पेड़ सबो लहरावत हे पुचुक पुचुक मेचका कूदे, पानी में टररावत हे उल्हा उल्हा पाना देखके, कोयली गाना गावत हे गडगड गडगड बादर गरजे,बछरू ह मेछरावत हे बरसा के दिन आगे संगी, बादर ह बदरावत हे। नांगर धर के सोनू कका, खेत डाहर जावत हे गाडा बइला फांद के सरवन , खातू माटी लावत हे बड़े बिहनिया ललित भैया,खातू ल बगरावत हे बरसा के दिन आगे संगी, बादर ह बदरावत हे। टपटप टपटप पानी गिरे, रेला घलो बोहावत हे कूद कूद के लइका नाचे,ओरछा में नहावत हे चिखला माटी में खेलत हाबे, दाई ह खिसयावत हे बरसा के दिन आगे संगी, बादर ह बदरावत हे।। रचना महेन्द्र देवांगन माटी 8602407353 *********************

जय शेरों वाली माँ

"जय शेरों वाली माँ " ****************** जय शेरों वाली जय खप्पर वाली शरण में आये हन तोर------2 बीच सभा में गावत हों माता-2,रख लेबे लाजे मोर जय शेरों वाली --------------------- कोई काली कोई चंडी,कोई दुरगा कहिथे जब जब संकट आथे माता, तोर चरन ल परथे सबके संकट हरने वाली -2,हर ले संकट मोर जय शेरों वाली --------------------------------- जब जब अत्याचार बढ़ीस हे,तेंहा रूप अवतारे करीस पुकार सब रिसि मुनि मन,ओकर संकट तारे सबके संकट तारने वाली-2,तार दे संकट मोर जय शेरों वाली ------------------------------------ जगमग जगमग तोर रूप हे,सबके मन ल मोहिथे दरश करे बर तोरे माता, सब झन रददा जोहिथे महूं आये हों तोर दरश बर,दरशन दे दे तोर जय शेरों वाली -------------------------------- बीच सभा में -------------------------------------।। रचना महेन्द्र देवांगन माटी

मोर छत्तीसगढ़ के कोरा में

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गीत ****** मोर छत्तीसगढ़ के कोरा में, किसम किसम के फूल -2 हीरा कस हे इंहा के माटी-2,चंदन कस हे धूल मोर छत्तीसगढ़ के ---------------------------------। बड़े बड़े ज्ञानी मुनि मन,एकर कोरा में आइस -2 इही माटी में खेलकूद के, जीवन सफल बनाइस करीस तपस्या कतको झन ह-2,कैसे जाबो भूल मोर छत्तीसगढ़ के ---------------------------------। इंहा के बेटा बड़े सबूत हे,मेहनत करके खाथे-2 धरती दाई के सेवा करके, धान ल उपजाथे हरियर हरियर देख के सबके-2,मन हर जाथे झूले मोर छत्तीसगढ़ के कोरा ------------------------। बड़ सीधवा हे इंहा के मनखे, लड़ई झगरा नइ जाने जाति पांति के भेद ल संगी, कभू इंहा नइ माने सबके आदर मान करत हे-2,रखते इज्जत कूल मोर छत्तीसगढ़ के कोरा में -----------------------। छत्तीसगढ़ के कोरा में संगी,छत्तीसों भाषा हाबे इंहा के जइसे भाखा बोली, अऊ कहां तै पाबे किसम किसम के भासा बोली-2,सब मिल जाथे घूल मोर छत्तीसगढ़ के कोरा ---------------------------। हीरा कस हे-------------------------------------------।। रचना  महेन्द्र देवांगन माटी