पुरवाई चले
पुरवाई चले ************** सरर सरर पुरवाई चले मन ह मोर डोले झुमरत हाबे डारा पाना कोयली बाग में बोले । संऊधी संऊधी माटी के खुसबू सबके मन ल भाये होत मुंदरहा कूकरा बासत बछरु घलो मेछराये। चहकत हाबे चिरई चिरगुन मुंहू ल अपन खोले सरर सरर पुरवाई चले मन ह मोर डोले । **************** रचना प्रिया देवांगन पंडरिया जिला - कबीरधाम (छ ग )