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Showing posts from May, 2016

दीया जलाबोन

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बेरा ह बुड़गे चल दीया जलाबोन करबो पूजा अऊ आरती ल गाबोन बड़े मन के सब आसीरवाद पाबोन सुख शांति अऊ समरिद्धी ल लाबोन संझा बेरा के जय जोहार महेन्द्र देवांगन माटी

सुबह की हवा

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सुबह की हवा सबको भाये खिले फूल भौंरा गुनगुनाये पेड़ॊं पर चिड़िया चहचहाये बछड़ा देख गैया रंभाये । काका बाबा घुमने जाये कसरत कर सेहत बनाये बच्चे भी तो दौड़ लगाये सुबह की हवा सबको भाये।     महेन्द्र देवांगन माटी

गरमी के दोहे

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गरमी के दोहे ***************** तात तात हावा चले, पसीना ह बोहाय । कतको पानी पी तभो, टोंटा बहुत सुखाय।। गरम गरम लू चलत हे, गोंदली ल तैं राख । मुंहूं कान ल बांध ले , कर जतन तहूं लाख ।। चट चट भुइयां जरत हे, तीपत हे मुड़कान। छांव नइहे रसता में, लगत हे हलाकान ।। खटर खटर पंखा चले, नींद घलो नइ आत । मच्छर ह चाबत हाबे, कइसे कटही रात ।। साग पान मिठाय नहीं, बासी बने सुहाय । चटनी पीस खाले तैं, आमा बने लुभाय ।। महेन्द्र देवांगन माटी

मजदूर

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मजदूर ************** पसीना ओगार के मेंहनत करथे दुनिया ल सिरजाथे रात दिन मजदूरी करथे तब मजदूर कहाथे । नइ खाये वो इडली डोसा चटनी बासी खाथे धरती दाई ल हरियर करथे माटी के गुन गाथे । घाम पियास ल सहिके संगी जांगर टोर कमाथे खून पसीना एक करथे तब रोजी रोटी पाथे । बिना मजदूर के काम नइ चले दुनिया ह रुक जाही जब तक मेंहनत नइ करही त कहां ले विकास हो पाही । रचना महेन्द्र देवांगन माटी शिक्षक ( बोरसी - राजिम वाले ) गोपीबंद पारा पंडरिया जिला - कबीरधाम (छ. ग. ) 8602407353 matikerachana.blogspot.com